[ad_1]
आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ के गवाह बने छह परिवारों के सदस्यों के चेहरे पर अभी भी दहशत साफ नजर आ रही है। तड़के तीन बजे गोलियों की तड़तड़ाहट और धमाकों से इन लोगों की आंख खुली। इन छह परिवारों में से एक मो. अनवर मलिक के घर के परिसर में आतंकी एक शौचालय में छुपे हुए थे। दूसरा परिवार अनवर के साथ के घर में रहने वाले तहसीलदार और तीसरा परिवार अनवर मलिक के घर की पिछली तरफ बीडीसी सदस्य रशीद मलिक का है। बाकी के तीन परिवार मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं, जो अनवर के घर के सामने बनी तीन झुग्गियों में रहते हैं। खौफजदा इन परिवारों के सदस्यों ने कहा, इतना खौफनाक मंजर पहली बार देखा। सेना ने हमारी जान बचा ली।
खौफनाक मंजर के गवाह छह परिवार
सुबह 6 बजे बहन के मोबाइल नंबर से फोन आया। सेना के एक अफसर ने बात की। बताया कि उसके घर में आतंकी छुपे हैं। अफसर ने कहा, आप घबराएं नहीं, हम आपके परिवार को सुरक्षित बाहर निकाल लाएंगे। यह सुनकर मेरे होश उड़ गए। हमारे तीन अलग-अलग घर हैं। मैं दूसरे घर में था और जिस घर में आतंकी घुसे थे, वहां मेरी पत्नी और दो बेटियां थीं। समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करें। ठीक 7 बजे सेना मेरी पत्नी और बेटियों को घर से बाहर निकाल कर ले आई। -मोहम्मद अनवर मलिक
धमाके से खुली नींद, सेना ने बचाई जान
झुग्गियों में रहने वाले मध्य प्रदेश के शतगुरु अहरवाल और उनकी पत्नी विद्या का कहना है कि हम लोग सो रहे थे। सुबह 3 बजे का वक्त होगा। अचानक से गोलियों की तड़तड़ाहट और धमाकों की आवाज आने लगी। हमें लगा कि आज नहीं बच पाएंगे। एक घंटे तक वे रोते बिलखते रहे। सुबह 4 बजे के करीब सेना के जवान हमारी झुग्गियों में आए और हमें बाहर निकाल कर ले गए, लेकिन इसके पहले एक गोली उनकी झुग्गी के बाहर आकर लगी थी। उनके साथ ही दो और झुग्गियां हैं। सेना के जवानों ने हम तीनों परिवारों को वहां से सुरक्षित बाहर निकाला और दूसरे स्थान पर ले गए। यदि सेना नहीं होती तो पता नहीं क्या होता। वह लोग बच भी पाते या नहीं।
लगा बाहर पटाखे चल रहे हैं
सहरी के लिए अभी उठी ही थी कि तड़तड़ाहट की आवाज आने लगी। मुझे लगा कोई पटाखे फोड़ रहा है। घर से बाहर निकल कर गेट तक भी पहुंची। सामने देखा तो सेना के जवान खड़े थे। उन्होंने कहा कि वह अपने कमरे में चले जाएं। कुछ देर के बाद सेना के जवान आए और उन्हें पिछली तरफ से घर से बाहर जाने को कहा। मुझे और मेरे बच्चों को जवानों ने दीवार फांदकर बाहर निकाला। मेरे पति इम्तियाज मिर्जा राजोरी जिले की दरहाल तहसील के तहसीलदार हैं। – पूनम मिर्जा
ऐन मौके पर पहुंच जवानों ने बचा लिया
हम लोग सो रहे थे कि अचानक से गोलियों और धमाकों की आवाजें आने लगीं। घर में मेरे पापा, बच्चे और अन्य लोग मौजूद थे। एक गोली मेरे कमरे के शीशे में आकर लगी। समझ तो आ गया था कि आतंकी हमला हो गया है। उन्हें लग रहा था कि आतंकी अब उनके घर में घुसने वाले हैं, लेकिन सेना के जवान वक्त पर आ गए और उनको घर से सुरक्षित बाहर निकाल कर दूसरी जगह ले गए। सेना का शुक्रिया, जिसकी वजह से हम बच गए। मेरी स्कार्पियो और जेसीबी भी ग्रेनेड फेंकने और गोलीबारी में क्षतिग्रस्त हो गई। वाहन तो फिर आ जाएंगे। जान बचाने के लिए हम सेना के बेहद शुक्रगुजार हैं। ऐसा खौफनाक मंजर पहले नहीं देखा। -जुल्फिकार मलिक, बीडीसी सदस्य रशीद मलिक का बेटा
[ad_2]
Source link